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Relative Grading Explained : सीबीएसई ने कक्षा 10वीं और 12वीं की परीक्षाओं में विषयवार ग्रेड देने के लिए ‘रिलेटिव ग्रेडिंग’ प्रणाली अपनाई है

Relative Grading Explained : सीबीएसई ने कक्षा 10वीं और 12वीं की परीक्षाओं में विषयवार ग्रेड देने के लिए ‘रिलेटिव ग्रेडिंग’ प्रणाली अपनाई है

सीबीएसई ने कक्षा 10वीं और 12वीं की परीक्षाओं में विषयवार ग्रेड देने के लिए ‘रिलेटिव ग्रेडिंग’ प्रणाली अपनाई है। यह प्रणाली पहले से प्रचलित है, जिसकी सूचना सर्कुलर संख्या CBSE/CE/Coord/2021 दिनांक 25 फरवरी 2021 द्वारा दी जा चुकी है। इस सूचना में उसी सर्कुलर की जानकारी दोहराई जा रही है।

रिलेटिव ग्रेडिंग क्या है?

रिलेटिव ग्रेडिंग एक वैज्ञानिक पद्धति है, जिसमें छात्रों को पहले से तय किए गए अंक सीमा (जैसे 91-100, 81-90) के आधार पर ग्रेड नहीं दिए जाते, बल्कि उस समूह में छात्रों की तुलना की जाती है, जिसमें वे आते हैं। इससे विभिन्न विषयों के लिए अलग-अलग ग्रेड दिए जाते हैं, जो उस विषय में उत्तीर्ण हुए छात्रों की संख्या पर आधारित होते हैं।

ग्रेड देने की प्रक्रिया:

उत्तीर्ण छात्रों को उनकी अंक सूची में कुल 8 समूहों में विभाजित कर ग्रेड दिए जाते हैं:

ग्रेड समूह में स्थान
A1 शीर्ष 1/8 छात्र
A2 अगले 1/8 छात्र
B1 अगले 1/8 छात्र
B2 अगले 1/8 छात्र
C1 अगले 1/8 छात्र
C2 अगले 1/8 छात्र
D1 अगले 1/8 छात्र
D2 अगले 1/8 छात्र
E आवश्यक पुनःपरीक्षा

महत्वपूर्ण बातें:

  1. ग्रेड देने के लिए छात्रों को रैंक ऑर्डर में रखा जाता है।
  2. जहां आवश्यक हो, समान अंक पाने वाले छात्रों को एक ही ग्रेड दिया जाता है।
  3. 500 से अधिक छात्रों वाले विषयों में यह पद्धति लागू होती है। यदि किसी विषय में 500 से कम छात्र हैं, तो उस विषय के समान अन्य विषयों के पैटर्न पर ग्रेडिंग की जाती है।

उदाहरण:

हिंदी विषय में 159052 छात्र पास हुए, इनमें से शीर्ष 1/8 छात्रों (लगभग 19882 छात्र) को A1 ग्रेड मिलेगा, अगले 19882 छात्रों को A2 ग्रेड मिलेगा और इसी तरह आगे बढ़ते हुए D2 तक ग्रेड दिए जाएंगे।

इतिहास विषय में 158585 छात्र पास हुए, इनमें से शीर्ष 1/8 छात्रों (लगभग 19824 छात्र) को A1 ग्रेड मिलेगा।

अर्थशास्त्र विषय में 383647 छात्र पास हुए, जिनमें से शीर्ष 1/8 (लगभग 47956) छात्रों को A1 ग्रेड मिलेगा।

निष्कर्ष:

रिलेटिव ग्रेडिंग प्रणाली में एक छात्र को दो अलग-अलग विषयों में समान अंक मिलने के बावजूद अलग-अलग ग्रेड मिल सकते हैं। यह पूरी तरह से उस विषय में पास हुए छात्रों की संख्या और उनके सापेक्ष स्कोर पर निर्भर करता है।

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